शान्ति-स्तवन
महादेवी वर्मा शान्त गगन हो, शान्त धरा हो ! फैला दिशि-दिशि अन्तरिक्ष हो शान्त हमारा, शान्त हमारे हित हो सागर की जलधारा। औषधियों में क्षेम हमारे हित बिखरा हो ! शान्त गगन हो, शान्त धरा हो ! शममय हो भूकम्प शान्त उल्का-निपतन हो, शम, विदीर्ण धरती का उर भी भीति शमन हो, क्षेमकरी ही रहे धेनु लोहितक्षीरा हो। शान्त गगन हो, शान्त धरा हो ! उल्का – अभिहृत ग्रह शम हों अभियान दु:खकर, शम कृत्या छल कुहक हिंस्र आचरण क्षेमकर, संहारक विध्वंस हमें शम शान्ति भरा हो ! शान्त गगन हो शान्त धरा हो ! विवस्वान सम, मित्र वरुण अंतक भी शममय, पृथिवी के नभ के सारे उत्पात शान्तिमय, नभचर नक्षत्रों की गति में शम उतरा हो ! शान्त गगन...