ऋग्वेद 1.22.16

अतो देवा अवन्तु नो यतो विष्णुर्विचक्रमे। पृथिव्याः सप्त धामभिः॥16॥

पदपाठ — देवनागरी
अतः॑। दे॒वाः। अ॒व॒न्तु॒। नः॒। यतः॑। विष्णुः॑। वि॒ऽच॒क्र॒मे। पृ॒थि॒व्याः। स॒प्त। धाम॑ऽभिः॥ 1.22.16

PADAPAATH — ROMAN
ataḥ | devāḥ | avantu | naḥ | yataḥ | viṣṇuḥ | vi-cakrame | pṛthivyāḥ | sapta | dhāma-bhiḥ

देवता —        विष्णुर्देवो वा ;       छन्द        गायत्री;      
स्वर        षड्जः;       ऋषि        मेधातिथिः काण्वः

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
(यतः) जिस सदा वर्त्तमान नित्य कारण से (विष्णुः) चराचर संसार में व्यापक जगदीश्वर (पृथिव्याः) पृथिवी को लेकर (सप्त) सात अर्थात् पृथिवी, जल, अग्नि, वायु, विराट्, परमाणु और प्रकृति पर्यन्त लोकों को (धामभिः) जो सब पदार्थों को धारण करते हैं उनके साथ (विचक्रमे) रचता है। (अतः) उसी से (देवाः) विद्वान् लोग (नः) हम लोगों को (अवन्तु) उक्त लोगों की विद्या को समझते वा प्राप्त कराते हुये हमारी रक्षा करते रहें॥16॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
विद्वानों के उपदेश कि बिना किसी मनुष्य को यथावत् सृष्टिविद्या का बोध कभी नहीं हो सकता। ईश्वर के उत्पादन करने के बिना किसी पदार्थ का साकार होना नहीं बन सकता और इन दोनों कारणों के जाने बिना कोई मनुष्य पदार्थों से उपकार लेने को समर्थ नहीं हो सकता। और जो यूरोपदेशवाले विलसन साहिब ने ‘पृथिवी उस खण्ड के अवयव से तथा विष्णु की सहायता से देवता हमारी रक्षा करें।‘ यह इस मन्त्र का अर्थ अपनी झूंठी कल्पना से वर्णन किया है, सो समझना चाहिये॥16॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
16. जिस भू-प्रदेश से, अपने सातों छन्दों द्वारा विष्णु ने विविध पाद-क्रम किया था, उसी भू-प्रदेश से देवता लोग हमारी रक्षा करें।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
16. The Gods be gracious unto us even from the place whence Visnu strode Through the seven regions of the earth! 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
The gods be gracious to us even from the place whence Visnu strode Through the seven regions of the earth! [16]

H H Wilson (On the basis of Sayana)
16. May the gods preserve us (from that portion) of the earth whence Vishu, (aided) by the seven metres, stepped.
Vishu is explained by Sayana, by Paramesvara, the supreme ruler, or in his annotation on the next verse, to mean, he who enters into or who pervades the world- Visnur-visaterva vyasnoter-va. Vicakrame, ‘stepped’, he explains by vividhapadakramanam krtavan- he made the going of various steps. Rosen translates it transgresses. According to the Taittiriyas, (5.2.1.1) as cited by the Scholiast, the gods, with Vishnu at their head, subdued the invincible earth, using the seven metres of the Veda as their instruments. Sayana conceives the text to allude to the Trivikrama      Avatara, in which Vishnu traversed the three worlds in three steps. The phrase, preserve us from the earth, implies, according to the commentary, the hindrance of the sin of those inhabiting the earth- bhuloke vartamananam papanivaranam; but the passage is obscure.

You may also like...