ऋग्वेद 1.16.5

सेमं नः स्तोममा गह्युपेदं सवनं सुतम्।
गौरो न तृषितः पिब॥5॥

पदपाठ — देवनागरी
सः। इ॒मम्। नः॒। स्तोम॑म्। आ। ग॒हि॒। उप॑। इ॒दम्। सव॑नम्। सु॒तम्। गौ॒रः। न। तृ॒षि॒तः। पि॒ब॒॥ 1.16.5

PADAPAATH — ROMAN
saḥ | imam | naḥ | stomam | ā | gahi | upa | idam | savanam | sutam | gauraḥ | na | tṛṣitaḥ | piba

देवता        इन्द्र:;       छन्द        निचृद्गायत्री ;       स्वर        षड्जः;      
ऋषि —        मेधातिथिः काण्वः

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जो उक्त सूर्य्य (नः) हमारे (इमम्) अनुष्ठान किये हुए (स्तोमम्) प्रशंसनीय यज्ञ वा (सवनम्) ऐश्वर्य्य प्राप्त करानेवाले क्रियाकाण्ड को (न) जैसे (तृषितः) प्यासा (गौरः) गौरगुण विशिष्ट हरिन (उपागहि) समीप प्राप्त होता है, वैसे (सः) वह (इदम्) इस (सुतम्) उत्पन्न किये हुए ओषधि आदि रस को (पिब) पीता है॥5॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
इस मन्त्र में उपमालंकार है। जैसे अत्यन्त प्यासे मृग आदि पशु और पक्षी वेग से दौड़कर नदी तालाब आदि स्थान को प्राप्त होके जल को पीते हैं, वैसे ही यह सूर्य्यलोक अपनी वेगवाली किरणों से ओषधि आदि को प्राप्त होकर उनके रस को पीता है। सो यह विद्या की वृद्धि के लिये मनुष्यों को यथावत् उपयुक्त करना चाहिये॥5॥                                                     
यह तीसवां वर्ग पूरा हुआ॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
5. इन्द्र! तुम हमारी यह स्तुति ग्रहण करने आओ; क्योंकि यज्ञ सवन (सोमरस) तैयार है। तृषित गोरे हरिणों की तरह आओ।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
5. Come thou to this our song of praise, to the libation poured for thee Drink of it like a stag athirst. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Come to this our song of praise, to the libation poured for you Drink of it like a stag athirst. [5]

Horace Hayman Wilson (On the basis of Sayana)
5. Do you accept this our praise, and come to this our sacrifice, for which the libation is prepared; drink like a thirsty stag. Like the Gaura, said to be a sort of deer. (S BppvZXwBp ò\)

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