ऋग्वेद 1.25.20
त्वं विश्वस्य मेधिर दिवश्च ग्मश्च राजसि। स यामनि प्रति श्रुधि॥20॥
पदपाठ — देवनागरी
त्वम्। विश्व॑स्य। मे॒धि॒र॒। दि॒वः। च॒। ग्मः। च॒। रा॒ज॒सि॒। सः। याम॑नि॒। प्रति॑। श्रु॒धि॒॥ 1.25.20
PADAPAATH — ROMAN
tvam | viśvasya | medhira | divaḥ | ca | gmaḥ | ca | rājasi | saḥ yāmani |
prati | śrudhi
देवता — वरुणः; छन्द — निचृद्गायत्री ;
स्वर — षड्जः; ऋषि — शुनःशेप आजीगर्तिः
मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
हे (मेधिर) अत्यन्त विज्ञान युक्त वरुण विद्वान् ! (त्वम्) आप जैसे जो ईश्वर(दिवः) प्रकाशवान् सूर्य आदि (च) वा अन्य सब लोक (ग्मः) प्रकाशरहित पृथिवीआदि (विश्वस्य) सब लोकों के (यामनि) जिस-जिस काल में जीवों का आना जाना होता है उस-उस में प्रकाश हो रहे हैं (सः) सो हमारी स्तुतियों को सुनकर आनन्ददेते हैं वैसे होकर इस राज्य के मध्य में (राजसि) प्रकाशित हूजिये और हमारीस्तुतियों को (प्रतिश्रुधि) सुनिये॥20॥
भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालंकार है। जैसे परब्रह्म ने इस सब संसार के दो भेद किये हैं- एक प्रकाशवाला सूर्य आदि और दूसरा प्रकाश रहित पृथिवी आदि लोकजो इनकी उत्पत्ति वा विनाश का निमित्त कारण काल है उसमें सदा एक सारहनेवाला परमेश्वर सब प्राणियों के संकल्प से उत्पन्न हुई बातों का भी श्रवणकरता है इससे कभी अधर्म के अनुष्ठान की कल्पना भी मनुष्यों को नहीं करनीचाहिये वैसे इस सृष्टिक्रम को जानकर मनुष्यों को ठीक-ठीक वर्त्तना चाहिये॥20॥
रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
20, मेधावी वरुण! तुम द्युलोक, भूलोक और समस्त संसार में दीप्तिमान् हो। हमारी रक्षा-प्राप्ति के लिए प्रार्थना सुनने के अनन्तर तुम उत्तर दो।
R T H Griffith
20. Thou, O wise God, art Lord of all, thou art the King of earth and
heaven Hear, as thou goest on thy way.
Translation of Griffith Re-edited by Tormod Kinnes
You, wise God, art Lord of all, you are the King of earth and heaven Hear, as you go on your way. [20]
H H Wilson (On the basis of Sayana)
20. You, who are possessed of wisdom, shine over heaven and earth, and all the world; do you hear and reply (to my prayers), with (promise of) prosperity.