ऋग्वेद 1.25.7
वेदा यो वीनां पदमन्तरिक्षेण पतताम्। वेद नावः समुद्रियः॥7॥
पदपाठ — देवनागरी
वेद॑। यः। वी॒नाम्। प॒दम्। अ॒न्तरि॑क्षेण। पत॑ताम्। वेद॑। ना॒वः। स॒मु॒द्रियः॑॥ 1.25.7
PADAPAATH — ROMAN
veda | yaḥ | vīnām | padam | antarikṣeṇa | patatām | veda | nāvaḥ |
samudriyaḥ
देवता — वरुणः; छन्द — निचृद्गायत्री ; स्वर — षड्जः;
ऋषि — शुनःशेप आजीगर्तिः
मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
(यः) जो (समुद्रियः) समुद्र अर्थात् अन्तरिक्ष वा जलमय प्रसिद्ध समुद्र में अपने पुरुषार्थ से युक्त विद्वान् मनुष्य (अन्तरिक्षेण) आकाश मार्ग से (पतताम्) जाने आने वाले (वीनाम्) विमान सब लोक वा पक्षियों के और समुद्र में जानेवाली (नावः) नौकाओं के (पदम्) रचन चालन ज्ञान और मार्ग को (वेद) जानता है वह शिल्पविद्या की सिद्धि के करने को समर्थ हो सकता है अन्य नहीं॥7॥
भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जो ईश्वर ने वेदों में अन्तरिक्ष भू और समुद्र में जाने आनेवाले यानों की विद्या का उपदेश किया है उनको सिद्ध करने को जो पूर्ण विद्या शिक्षा और हस्त क्रियाओं के कला कौशल में कुशल मनुष्य होता है वही बनाने में समर्थ हो सकता है॥7॥
रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
7. जो वरुण अन्तरिक्ष-चारी चिड़ियों का मार्ग और समुद्र की नौकाओं का मार्ग जानते हैं।
Ralph Thomas Hotchkin Griffith
7. He knows the path of birds that fly through heaven, and, Sovran of the
sea, He knows the ships that are thereon.
Translation of Griffith
Re-edited by Tormod Kinnes
He knows the path of birds that fly through heaven, and, Sovran of the sea,
He knows the ships that are thereon. [7]
H H Wilson (On the basis of
Sayana)
7. He, who knows the path of the birds flying through the air; he, abiding
in the ocean, knows (also) the course of ships. Here we have the usual funcaons
of Varuna recognized.