ऋग्वेद 1.23.10
विश्वान्देवान्हवामहे मरुतः सोमपीतये। उग्रा हि पृश्निमातरः॥10॥
पदपाठ — देवनागरी
व्विश्वा॑न्। दे॒वान्। ह॒वा॒म॒हे॒। म॒रुतः॑। सोम॑ऽपीतये। उ॒ग्राः। हि। पृश्नि॑ऽमातरः॥ 1.23.10
PADAPAATH — ROMAN
vviśvān | devān | havāmahe | marutaḥ | soma-pītaye | ugrāḥ | hi | pṛśni-mātaraḥ
देवता — विश्वेदेवा:; छन्द — गायत्री;
स्वर — षड्जः; ऋषि — मेधातिथिः काण्वः
मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
विद्या की इच्छा करनेवाले हम लोग (हि) जिस कारण से जो ज्ञान क्रिया के निमित्त से शिल्प व्यवहारों को प्राप्त करानेवाले (उग्राः) तीक्ष्णता वा श्रेष्ठ वेग के सहित और (पृश्निमातरः) जिनकी उत्पत्ति का निमित्त आकाश वा अन्तरिक्ष है इससे उन (विश्वान्) सब (देवान्) दिव्यगुणों के सहित उत्तम गुणों के प्रकाश करानेवाले वायुओं को (हवामहे) उत्तम विद्या की सिद्धि के लिये जानना चाहते हैं॥10॥
भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जिससे यह वायु आकाश ही से उत्पन्न आकाश में आने जाने और तेजस्वी भाववाले हैं, इसी से विद्वान् लोग कार्य्य के अर्थ इनका स्वीकार करते हैं॥10॥ इति।।1।2। नवमो वर्गः॥
रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
10. सारे मरुतदेवों को सोमरस-पान के लिए हम आह्वान करते हैं। वे उग्र और पृश्नि (पृथिवी, आकाश या मेघ) की संतान हैं।
Ralph Thomas Hotchkin Griffith
10. We call the Universal Gods, and Maruts to the Soma draught, For passing
strong are Prsni’s Sons.
Translation of Griffith Re-edited by Tormod Kinnes
We call the Universal gods, and Maruts to the soma draught, For passing strong are Prsni’s Sons. [10]
H H Wilson (On the basis of Sayana)
10. We invoke all the divine Maruts, who are fierce, and have the (many-coloured) earth for their mother, to drink the Soma Juice. Prsnimatarah; who have Prsni for their mother. According to Sayana, Prsni is the many-coloured earth- nanavarnayukta bhuh. In the Nighantu, Prsni is a synonym of sky, or heaven in general. In some texts, as Rosen shows, it occurs as a name of the Sun.