ऋग्वेद 1.22.19

विष्णोः कर्माणि पश्यत यतो व्रतानि पस्पशे। इन्द्रस्य युज्यः सखा॥19॥

पदपाठ — देवनागरी
विष्णोः॑। कर्मा॑णि। प॒श्य॒त॒। यतः॑। व्र॒तानि॑। प॒स्प॒शे। इन्द्र॑स्य। युज्यः॑। सखा॑॥ 1.22.19

PADAPAATH — ROMAN
viṣṇoḥ | karmāṇi | paśyata | yataḥ | vratāni | paspaśe | indrasya | yujyaḥ | sakhā

देवता —        विष्णुः ;       छन्द        निचृद्गायत्री ;      
स्वर        षड्जः;       ऋषि        मेधातिथिः काण्वः

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
हे मनुष्य लोगो ! तुम जो (इन्द्रस्य) जीव का (युज्यः) अर्थात् जो अपनी व्याप्ति से पदार्थों में संयोग करनेवाले दिशा, काल और आकाश हैं, उनमें व्यापक होके रमने वा (सखा) सर्व सुखों के सम्पादन करने से मित्र हैं (यतः) जिससे जीव (व्रतानि) सत्य बोलने और न्याय करने आदि उत्तम कर्मों को (पस्पशे) प्राप्त होता है उस (विष्णोः) सर्वत्र व्यापक शुद्ध और स्वभाव सिद्ध अनन्त सामर्थ्य वाले परमेश्वर के (कर्माणि) जो कि जगत् की रचना, पालना, न्याय और प्रलय करना आदि कर्म हैं उनको तुम लोग (पश्यत) अच्छे प्रकार विदित करो॥19॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जिस कारण सबके मित्र जगदीश्वर ने पृथिवी आदि लोक तथा जीवों के साधन सहित शरीर रचे हैं। इसी से सब प्राणी अपने-अपने कार्य्यों के करने को समर्थ होते हैं॥19॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
19. विष्णु के कर्मों के बल ही यजमान अपने व्रतों का अनुष्ठान करते हैं। उनके कर्मों को देखो। वे इन्द्र के उपयुक्त सखा हैं।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
19. Look ye on Visnu’s works, whereby the Friend of Indra, close-allied, Hath let his holy ways be seen. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Look you on Visnu’s works, by which the friend of Indra, close-allied, Has let his holy ways be seen. [19]

H H Wilson (On the basis of Sayana)
19. Behold the deeds of Vishnu, through which (the worshipper) has accomplished (pious) vows: he is the worthy friend of Indra.

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