ऋग्वेद 1.26.4

आ नो बर्ही रिशादसो वरुणो मित्रो अर्यमा। सीदन्तु मनुषो यथा॥4॥

पदपाठ — देवनागरी
आ। नः॒। ब॒र्हिः। रि॒शाद॑सः। वरु॑णः। मि॒त्रः। अ॒र्य॒मा। सीद॑न्तु। मनु॑षः। य॒था॒॥ 1.26.4

PADAPAATH — ROMAN
ā | naḥ | barhiḥ | riśādasaḥ | varuṇaḥ | mitraḥ | aryamā | sīdantu | manuṣaḥ | yathā

देवता —        अग्निः ;       छन्द        गायत्री;      
स्वर        षड्जः;       ऋषि         शुनःशेप आजीगर्तिः 

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
हे मनुष्यो ! (यथा) जैसे (रिशादसः) दुष्टों के मारनेवाले (वरुणः) सब विद्याओं में श्रेष्ठ (मित्रः) सबका सुहृद् (अर्यमा) न्यायकारी (मनुषः) सभ्य मनुष्य (नः) हम लोगों के (बर्हिः) सब सुख के देनेवाले आसन मे बैठते हैं वैसे आप भी बैठिये॥4॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
इस मन्त्र में उपमालंकार है। जैसे सभ्यता पूर्वक सभाचतुर मनुष्य सभा में वर्त्तें वैसे ही सब मनुष्यों को सब दिन वर्त्तना चाहिये॥4॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
4, शत्रुञ्जय मित्र, वरुण और अर्यमा जिस तरह मनु के यज्ञ में बैठे थे, उसी तरह तुम भी हमारे यज्ञ के कुश पर बैठो।

R T H Griffith
4. Fiere let the foe-destroyers sit, Varuna, Mitra, Aryaman, Like men, upon our sacred grass. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Fiere let the foe-destroyers sit, Varuna, Mitra, Aryaman, Like men, upon our sacred grass. [4]

H H Wilson (On the basis of Sayana)
4. Let Varuna, Mitra and Aryaman, sit down upon our sacred grass, as they did at the sacrifice of Manu.
Aryaman is an Aditya, a form of the monthly sun; he is said also to preside over twilight. Manusah,1. of Manus, who, the Scholiast says, is the same as Manu, the Prajapati.

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