ऋग्वेद 1.23.1

तीव्राः सोमास आ गह्याशीर्वन्तः सुता इमे। वायो तान्प्रस्थितान्पिब॥1॥

पदपाठ — देवनागरी
ती॒व्राः। सोमा॑सः। आ। ग॒हि॒। आ॒शीःऽव॑न्तः। सु॒ताः। इ॒मे। वायो॒ इति॑। तान्। प्रऽस्थि॑तान्। पि॒ब॒॥ 1.23.1

PADAPAATH — ROMAN
tīvrāḥ | somāsaḥ | ā | gahi | āśīḥ-vantaḥ | sutāḥ | ime | vāyo iti | tān | pra-sthitān | piba

देवता —        वायु: ;       छन्द        निचृद्गायत्री ;      
स्वर        षड्जः;       ऋषि        मेधातिथिः काण्वः

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जो (इमे) (तीब्राः) तीक्ष्णवेगयुक्त (आशीर्वन्तः) जिनकी कामना प्रशंसनीय होती है (सुताः) उत्पन्न हो चुके वा (सोमासः) प्रत्यक्ष में होते हैं (तान्) उन सभों को (वायो) पवन (आगहि) सर्वथा प्राप्त होता है तथा यही उन (प्रस्थितान्) इधर-उधर अति सूक्ष्मरूप से चलायमानों को (पिब) अपने भीतर कर लेता है, जो इस मन्त्र में (आशीर्वन्तः) इस पद को सायणाचार्य ने (श्रीञ् पाके) इस धातु का सिद्ध किया है कि सो भाष्यकार की व्याख्या से विरुद्ध होने से अशुद्ध ही है॥1॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
प्राणी जिनको प्राप्त होने की इच्छा करते और जिनके मिलने में श्रद्धालु होते हैं उन सभों को पवन ही प्राप्त करके यथावत् स्थिर करता है, इससे जिन पदार्थों के तीक्ष्ण वा कोमल गुण हैं उनको यथावत् जानके मनुष्य लोग उनसे उपकार लेवें॥1॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
1. वायुदेव! यह तीखा और सुपक्व सोमरस तैयार है। तुम आओ; यही सोमरस यहाँ लाया गया है। पान करो।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
1. STRONG are the Somas; come thou nigh; these juices have been mixt with milk: Drink, Vayu, the presented draughts. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
STRONG are the somas; come nigh; these juices have been mixt with milk: Drink, Vayu, the presented draughts. [1]

H H Wilson (On the basis of Sayana)
1. These sharp and blessing-bearing Soma juices are poured out: come, Vayu, and drink of them as presented.

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