ऋग्वेद 1.22.18

त्रीणि पदा वि चक्रमे विष्णुर्गोपा अदाभ्यः। अतो धर्माणि धारयन्॥18॥

पदपाठ — देवनागरी
त्रीणि॑। प॒दा। वि। च॒क्र॒मे॒। विष्णुः॑। गो॒पाः। अदा॑भ्यः। अतः॑। धर्मा॑णि। धा॒रय॑न्॥ 1.22.18

PADAPAATH — ROMAN
trīṇi | padā | vi | cakrame | viṣṇuḥ | gopāḥ | adābhyaḥ | ataḥ | dharmāṇi | dhārayan

देवता —        विष्णुः ;       छन्द        पिपीलिकामध्यानिचृद्गायत्री;      
स्वर        षड्जः;       ऋषि        मेधातिथिः काण्वः

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जिस कारण यह (अदाभ्यः) अपने अविनाशीपन से किसी की हिंसा में नहीं आ सक्ता (गोपाः) और सब संसार की रक्षा करनेवाला, सब जगत् को (धारयन्) धारण करनेवाला, (विष्णुः) संसार का अन्तर्यामी परमेश्वर (त्रीणि) तीन प्रकार के (पदानि) जाने, जानने और प्राप्त होने योग्य पदार्थों और व्यवहारों को (विचक्रमे) विधान करता है, इसी कारण से सब पदार्थ उत्पन्न होकर अपने-अपने (धर्माणि) धर्मों को धारण कर सकते हैं॥18॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
ईश्वर के धारण के बिना किसी पदार्थ की स्थिति होने का सम्भव नहीं हो सकता। उसकी रक्षा के बिना किसी के व्यवहार की सिद्धि भी नहीं हो सकती॥18॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
18. विष्णु जगत् के रक्षक हैं, उनको आघात करनेवाला कोई नहीं है। उन्होंने समस्त धर्मों का धारण कर तीन पैरों का परिक्रमा किया।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
18. Visnu, the Guardian, he whom none deceiveth, made three steps; thenceforth Establishing his high decrees. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Visnu, the Guardian, he whom none deceives, made three steps; thenceforth Establishing his high decrees. [18]

H H Wilson (On the basis of Sayana)
18. Vishnu, the preserver, the uninjurable, stepped three steps, upholding thereby righteous acts. The Preserver- Gopa, sarvasya jagato raksakah- the preserver of all the worlds, is the explanation of Sayana; thus recognizing Vishnu’s principal and distinguishing attribute.

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