ऋग्वेद 1.20.7

ते नो रत्नानि धत्तन त्रिरा साप्तानि सुन्वते। एकमेकं सुशस्तिभिः॥7॥

पदपाठ — देवनागरी
ते। नः॒। रत्ना॑नि। ध॒त्त॒न॒। त्रिः। आ। साप्ता॑नि। सु॒न्व॒ते। एक॑म्ऽएकम्। सु॒श॒स्तिऽभिः॑॥ 1.20.7

PADAPAATH — ROMAN
te | naḥ | ratnāni | dhattana | triḥ | ā | sāptāni | sunvate | ekam-ekam | suśasti-bhiḥ

देवता —        ऋभवः ;       छन्द        गायत्री;      
स्वर        षड्जः;       ऋषि        मेधातिथिः काण्वः

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जो विद्वान् (सुशस्तिभिः) अच्छी-2 प्रशंसावाली क्रियाओं से (साप्तानि) जो सात संख्या के वर्ग अर्थात् ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यासियों के कर्म, यज्ञ का करना, विद्वानों का सत्कार तथा उनसे मिलाप और दान अर्थात् सबके उपकार के लिये विद्या का देना है, इनसे (एकमेकम्) एक-एक कर्म करके (त्रिः) त्रिगुणित सुखों को (सुन्वते) प्राप्त करते हैं (ते) वे बुद्धिमान् लोग (नः) हमारे लिये (रत्नानि) विद्या और सुवर्णादि धनों को (धत्तन) अच्छी प्रकार धारण करें॥7॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
सब मनुष्यों को उचित है कि जो ब्रह्मचारी आदि चार आश्रमों के कर्म तथा यज्ञ के अनुष्ठान आदि तीन प्रकार के हैं, उनको मन वाणी और शरीर से यथावत् करें. इस प्रकार मिलकर सात कर्म होते हैं, जो मनुष्य इनको क्रिया करते हैं उनके संग उपदेश और विद्या से रत्नों को प्राप्त होकर सुखी होते हैं, वे एक-एक कर्म को सिद्ध वा समाप्त करके दूसरे का आरम्भ करें, इस क्रम से शान्ति और पुरुषार्थ से सब कर्मों का सेवन करते रहें॥7॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
7. ऋभुगण! तुम हमारी शोभन प्रार्थना प्राप्त कर हमारा सोमरस तैयार करनेवाले को तीन तरह के रत्न, एक एक कर, प्रदान करो और उसके सातों गुण तीन बार सम्पादन करो।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
7. Vouchsafe us wealth, to him who pours thrice seven libations, yea, to each Give wealth, pleased with our eulogies.  

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Vouchsafe us wealth, to him who pours thrice seven libations, yea, to each Give wealth, pleased with our eulogies. [7]

H H Wilson (On the basis of Sayana)
7. May they, moved by our praises, give to the offerer of the libation many precious things, and perfect the thrice seven sacrifices.
Trira saptani.1. The Scholiast considers that trih may be applied to precious things, as meaning best, middling worst, or to saptani, seven sacrifices, as classed under three heads. Thus, one clas consists of the Agnyadheyam, seven ceremonies in which clarified butter is offered on fire; one class consists of the Pakayajnas, in which dressed viands are offered to the Visvedevas and others; and one comprehends. the Agnistoma class, in which libations of Soma juice are the characteristic offering.

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