ऋग्वेदः 1.9.5
सं चोदय चित्रमर्वाग्राध इन्द्र वरेण्यम्। असदित्ते विभु प्रभु॥5॥
पदपाठ — देवनागरी
सम्। चो॒द॒य॒। चि॒त्रम्। अ॒र्वाक्। राधः॑। इ॒न्द्र॒। वरे॑ण्यम्। अस॑त्। इत्। ते॒। वि॒ऽभु। प्र॒ऽभु॥ 1.9.5
PADAPAATH — ROMAN
sam | codaya | citram | arvāk | rādhaḥ | indra | vareṇyam | asat | it | te
| vi-bhu | pra-bhu
देवता — इन्द्र:; छन्द — पिपीलिकामध्यानिचृद्गायत्री;
स्वर — षड्जः; ऋषि — मधुच्छन्दाः वैश्वामित्रः
मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
हे (इन्द्र) करुणामय सब सुखों के देनेवाले परमेश्वर! (ते) आपकी सृष्टि में जो-2, (वरेण्यं) अतिश्रेष्ठ, (विभु) उत्तम-2 पदार्थों से पूर्ण, (प्रभु) बडे-2 प्रभावों का हेतु, (चित्रं) जिससे श्रेष्ठ विद्या चक्रवर्त्ति राज्य से सिद्ध होनेवाले मणि सुवर्ण और हाथी आदि अच्छे-2 अद्भुत पदार्थ होते हैं ऐसा, (राधः) धन, (असत्) हो सो-2 कृपा करके हमलोगों के लिये, (संचोदय) प्रेरणा करके प्राप्त कीजिये॥5॥
भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
मनुष्य को ईश्वर के अनुग्रह और अपने पुरुषार्थ से आत्मा और शरीर के सुख के लिये विद्या और ऐश्वर्य्य की प्राप्ति वा उनकी रक्षा और उन्नति तथा सत्य मार्ग वा उत्तम दानादि धर्म अच्छी प्रकार से सदैव सेवन करना चाहिये, जिससे दारिद्र्य और आलस्य से उत्पन्न होनेवाले दुःखों का नाश होकर अच्छे-2 भोग करने योग्य पदार्थों की वृद्धि होती रहे॥5॥
यह सत्रहवाँ वर्ग समाप्त हुआ॥
रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
5. इन्द्रदेव! उत्तम और नानाविध सम्पत्ति हमारे सामने भेजो। पर्याप्त और प्रचुर धन तुम्हारे पास ही है।
Ralph Thomas Hotchkin Griffith
5. Send to us bounty manifold, O Indra, worthy of’ our wish, For power
supreme is only thine.
Translation of Griffith
Re-edited by Tormod Kinnes
Send to us bounty manifold, Indra, worthy of’ our wish, For power supreme
is only your. [5]
Horace Hayman Wilson (On the
basis of Sayana)
5. Place before us, Indra, precious and multiform riches, for
enough and more than enough are assuredly your.