ऋग्वेदः 1.7.5
इन्द्रं वयं महाधन इन्द्रमर्भे हवामहे। युजं वृत्रेषु वज्रिणम्॥5॥
पदपाठ — देवनागरी
इन्द्र॑म्। व॒यम्। म॒हा॒ऽध॒ने। इन्द्र॑म्। अर्भे॑। ह॒वा॒म॒हे॒। युज॑म्। वृ॒त्रेषु॑। व॒ज्रिण॑म्॥ 1.7.5
PADAPAATH — ROMAN
indram | vayam | mahādhane | indram | arbhe | havāmahe | yujam | vṛtreṣu | vajriṇam
देवता — इन्द्र:; छन्द — गायत्री; स्वर — षड्जः;
ऋषि — मधुच्छन्दाः वैश्वामित्रः
मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
हम लोग (महाधने) बडे-2 भारी संग्रामों में (इन्द्रं) परमेश्वर का (हवामहे) अधिक स्मरण करते रहते हैं और (अर्भे) छोटे-2 संग्रामों में भी इसी प्रकार (वज्रिणं) किरणवाले (इन्द्रं) सूर्य्य वा जलवाले वायु का जो कि (वृत्रेषु) मेघ के अंगों में (युजं) युक्त होने वाले इनके प्रकाश और सबमें गमनागमनादि गुणों के समान विद्या न्याय प्रकाश और दूतों के द्वारा सब राज्य का वर्त्तमान विदित करना आदि गुणों का धारण सब दिन करते रहें॥5॥
भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
इस मन्त्र में श्लेषालंकार है। जो बडे-2 भारी और छोटे-2 संग्रामों में ईश्वर को सर्वव्यापक और रक्षा करनेवाला मान के धर्म और उत्साह के साथ दुष्टों से युद्ध करें तो मनुष्यों का अचल विजय होता है। तथा जैसे ईश्वर भी सूर्य्य और पवन के निमित्त से वर्षा आदि के द्वारा संसार का अत्यन्त सुख सिद्ध किया करता है,वैसे मनुष्य लोगों को भी पदार्थों को निमित्त करके कार्य्यसिद्धि करनी चाहिये॥5॥
रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
5. इन्द्र हमारे सहायक और शत्रुओं के लिए वज्रधर हैं; इसलिए इम धन और महाधन के लिए इन्द्र का आह्वान करते हैं।
Ralph Thomas Hotchkin Griffith
5. In mighty battle we invoke Indra, Indra in lesser fight, The Friend who bends his bolt at fiends.
Translation of Griffith Re-edited by Tormod Kinnes
In mighty battle we invoke Indra, Indra in lesser fight, The friend who bends his bolt at fiends. [5]
Horace Hayman Wilson (On the basis of Sayana)
5. We invoke Indra for great affluence, Indra for limited wealth; (our) ally, and wielder of the thunder-bolt against (our) enemies.