ऋग्वेदः 1.7.3

इन्द्रो दीर्घाय चक्षस आ सूर्यं रोहयद्दिवि। वि गोभिरद्रिमैरयत्॥3॥

पदपाठ — देवनागरी
इन्द्रः॑। दी॒र्घाय॑। चक्ष॑से॑। आ। सूर्य॑म्। रो॒ह॒य॒त्। दि॒वि। वि। गोभिः॑। अद्रि॑म्। ऐ॒र॒य॒त्॥ 1.7.3

PADAPAATH — ROMAN
indraḥ | dīrghāya | cakṣase | ā | sūryam | rohayat | divi | vi | gobhiḥ | adrim | airayat

देवता        इन्द्र:;       छन्द        गायत्री;       स्वर        षड्जः;      
ऋषि         मधुच्छन्दाः वैश्वामित्रः  

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
(इन्द्रः) जो सब संसार का बनानेवाला परमेश्वर है उसने (दीर्घाय) निरन्तर अच्छी प्रकार (चक्षसे) दर्शन के लिये (दिवि) सब पदार्थों के प्रकाश होने के निमित्त जिस (सूर्य्यं) प्रसिद्ध सूर्य्यलोक को (आरोहयत्) लोकों के बीच में स्थापित किया है वह (गोभिः) जो अपनी किरणों के द्वारा (अद्रिं) मेघ को (व्यैरयत्) अनेक प्रकार से वर्षा होने के लिये ऊपर चढ़ाकर बारम्बार वर्षाता है॥3॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
रचने की इच्छा करनेवाले ईश्वर ने सब लोकों में दर्शन धारण और आकर्षण आदि प्रयोजनों के लिये प्रकाशरूप सूर्य्यलोक को सब लोकों के बीच में स्थापित किया है, इसी प्रकार यह हर एक ब्रह्माण्ड का नियम है कि वह क्षण-2 में जल को ऊपर खींच करके पवन के द्वारा ऊपर स्थापन करके बार-2 संसार में वर्षाता है,इसी से यह वर्षा का कारण है॥3॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
3. दूरस्थ मनुष्यों को देखने के लिए ही इन्द्र ने सूर्य को आकाश में रखा है। सूर्य अपनी किरणों-द्वारा पर्वतों को आलोकित किये हुए हैं।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
3. Indra hath raised the Sun on high in heaven, that he may see afar: He burst the mountain for the kine. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Indra has raised the Sun on high in heaven, that he may see afar: He burst the mountain for the kine. [3]

Horace Hayman Wilson (On the basis of Sayana)
3. Indra, to render all things visible, elevated the sun in the sky, and charged the cloud with (abundant) waters.
The world being enveloped in darkness by Vrtra, Indra, in order to remove it, elevated (a-rohayat, or as the comment says sthapitavan, placed) the sun in the Dyu-Ioka or heaven: the latter part of the passage may also be rendered, he (the sun) animated the mountain (i.e., the world) with his rays.

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