ऋग्वेदः 1.6.5

वीळु चिदारुजत्नुभिर्गुहा चिदिन्द्र वह्निभिः। अविन्द उस्रिया अनु॥5॥

पदपाठ — देवनागरी
वी॒ळु। चि॒त्। आ॒रु॒ज॒त्नुऽभिः॑। गुहा॑। चि॒त्। इ॒न्द्र॒। वह्नि॑ऽभिः। अवि॑न्दः। उ॒स्रियाः॑। अनु॑॥ 1.6.5

PADAPAATH — ROMAN
vīḷu | cit | ārujatnu-bhiḥ | guhā | cit | indra | vahni-bhiḥ | avindaḥ | usriyāḥ | anu

देवता        मरूत इन्द्रश्च ;       छन्द        गायत्री;       स्वर        षड्जः;      
ऋषि         मधुच्छन्दाः वैश्वामित्रः  

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
(चित्) जैसे मनुष्य लोग अपने पास के पदार्थों को उठाते धरते हैं। (चित्) वैसे ही सूर्य्य भी, (वीळु) दृढ़ बल से (उस्रियाः) अपनी किरणों करके संसारी पदार्थों को (अविन्दः) प्राप्त होता है। (अनु) उसके अनन्तर सूर्य्य उनको छेदन करके (आरुजलुभिः) भंग करने और (वह्निभिः) आकाश आदि देशों में पहुंचाने वाले पवन के साथ ऊपर नीचे करता हुआ (गुहा) अन्तरिक्ष अर्थात् पोल में सदा चढ़ाता गिराता रहता है॥5॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
इस मन्त्र में उपमालंकार है। जैसे बलवान पवन अपने वेग से भारी-2 दृढ़ वृक्षों को तोड़ फोड़ डालते और उनको ऊपर नीचे गिराते रहते हैं, वैसे ही सूर्य्य भी अपनी किरणों से उनका छेदन करता रहता है, इससे वे ऊपर नीचे गिरते रहते हैं।इसी प्रकार ईश्वर के नियम से सब पदार्थ उत्पत्ति और विनाश को भी प्राप्त होते रहते हैं॥5॥
हे इन्द्र! तू शीघ्र चलने वाले वायु के साथ अप्राप्त स्थान में रहनेवाली गौओं को प्राप्त हुआ। यह भी मोक्षमूलर साहब की व्याख्या असंगत है, क्योंकि (उस्रा) यह शब्द निघण्टु में रश्मि नाम में पडा है, इससे सूर्य्य की किरणों का ही ग्रहण होना योग्य है। तथा (गुहा) इस शब्द से सबको ढ़ापनेवाला होने से अन्तरिक्ष का ग्रहण है॥5॥
यह ग्यारहवाँ वर्ग समाप्त हुआ

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
5. इन्द्र! विकट स्थान को भी भेदन करनेवाले और प्रवहमान मरुदगण के साथ तुमने गुफा में छिपी हुई गायों को खोजकर उनका उद्धार किया था।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
5. Thou, Indra, with the Tempest-Gods, the breakers down of what is firm ‘ Foundest the kine even in the cave. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
You, Indra, with the tempest-gods, the breakers down of what is firm, Found the kine even in the cave. [5]

Horace Hayman Wilson (On the basis of Sayana)
5. Associated with the conveying Maruts, the traversers of places difficult of access, your Indra, have discovered the cows hidden in the cave.
Allusion is here made to a legend which is frequently adverted to, of the Asuras named Panis, having stolen the cows of the gods, or according to some versions, of the Angirasas, and hidden them in a cave, where they were discovered by Indra with the help of the birth Sarama.1 A dialogue between her and the robbers is given in another place, in which she conciliates them: in other passages the cows are represented as forcibly recovered by Indra with the help of the Maruts.

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