ऋग्वेदः 1.15.1
इन्द्र सोमं पिब ऋतुना त्वा विशन्त्विन्दवः। मत्सरासस्तदोकसः॥1॥
पदपाठ — देवनागरी
इन्द्र॑। सोम॑म्। पिब॑। ऋ॒तुना॑। आ। त्वा॒। वि॒श॒न्तु॒। इन्द॑वः। म॒त्स॒रासः॒। तत्ऽओ॑कसः॥ 1.15.1
PADAPAATH — ROMAN
indra | somam | piba | ṛtunā | ā | tvā | viśantu | indavaḥ | matsarāsaḥ |
tat-okasaḥ
देवता — इन्द्र:; छन्द — निचृद्गायत्री ; स्वर — षड्जः;
ऋषि — मेधातिथिः काण्वः
मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
हे मनुष्य ! यह (इन्द्र) समय का विभाग करनेवाला सूर्य्य (ॠतुना) वसन्त आदि ॠतुओं के साथ (सोमम्) ओषधि आदि पदार्थों के रस को (पिब) पीता है,और ये (तदोकसः) जिनके अन्तरिक्ष वायु आदि निवास के स्थान तथा (मत्सरासः) आनन्द के उत्पन्न करने वाले हैं, वे (इन्दवः) जलों के रस (ॠतुना) वसन्त आदि ॠतुओं के साथ (त्वा) इस प्राणी वा अप्राणी को क्षण-2 (आविशन्तु) आदेश करते हैं॥1॥
भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
यह सूर्य्य वर्ष, उत्तरायन दक्षिणायन, वसन्त आदि ॠतु, चैत्र आदि बारहों महीने, शुक्ल और कृष्णपक्ष, दिन-रात, मुहूर्त्त जो कि तीस कलाओं का संयोग,कला जो 30. (तीस) काष्ठा का संयोग, काष्ठा जो कि अठारह निमेष का संयोग तथा निमेष आदि समय के विभागों को प्रकाशित करता है। जैसे कि मनुजी ने कहा है, और उन्हीं के साथ सब ओषधियों के रस और सब स्थानों से जलों को खींचता है, वे किरणों के साथ अन्तरिक्ष में स्थित होते हैं, तथा वायु के साथ आते जाते हैं॥1॥
रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
1. इन्द्र! ऋतु के साथ सोमरस पान करो। तृप्तिकर और आश्रय योग्य सोमरस तुमको प्राप्त हो।
Ralph Thomas Hotchkin Griffith
1. O INDRA drink the Soma juice with Rtu; let the cheering drops Sink deep
within, which settle there.
Translation of Griffith Re-edited by Tormod Kinnes
Ritu INDRA drink the soma juice with Ritu; let the cheering drops Sink deep
within, which settle there. [1]
Horace Hayman Wilson (On the
basis of Sayana)
1. Indra, drink with Rtu the Soma juice; let the
satisfying drops enter into you, and there abide.