ऋग्वेदः 1.11.7

मायाभिरिन्द्र मायिनं त्वं शुष्णमवातिरः। विदुष्टे तस्य मेधिरास्तेषां श्रवांस्युत्तिर॥7॥

पदपाठ — देवनागरी
मा॒याभिः॑। इ॒न्द्र॒। मा॒यिन॑म्। त्वम्। शुष्ण॑म्। अव॑। अ॒ति॒रः॒। वि॒दुः। ते॒। तस्य॑। मेधि॑राः। तेषा॑म्। श्रवां॑सि। उत्। ति॒र॒॥ 1.11.7

PADAPAATH — ROMAN
māyābhiḥ | indra | māyinam | tvam | śuṣṇam | ava | atiraḥ | viduḥ | te | tasya | medhirāḥ | teṣām | śravāṃsi | ut | tira

देवता        इन्द्र:;       छन्द        विराडनुष्टुप् ;       स्वर        गान्धारः ;      
ऋषि        जेता माधुच्छ्न्दसः

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
हे (इन्द्र) परमैश्वर्य्य को प्राप्त कराने तथा शत्रुओं की निवृत्ति करनेवाले शूरवीर मनुष्य ! (त्वम्) तू उत्तम बुद्धि सेना तथा शरीर के बल से युक्त होके (मायाभिः) विशेष बुद्धि के व्यवहारों से (शुष्णम्) जो धर्मात्मा सज्जनों काचित्त व्याकुल करने (मायिनम्) दुर्बुद्धि दुःख देनेवाला सबका शत्रु मनुष्य है,उसका (अवातिरः) पराजय किया कर, (तस्य) उसके मारने में (मेधिराः) जो शास्त्रों को जानने तथा दुष्टों को मारने में अति प्रवीण मनुष्य हैं, वे (ते) तेरे संगम से सुखी और अन्नादि पदार्थों को प्राप्त हों। (तेषाम्) उन धर्मात्मा पुरुषों के सहाय से शत्रुओं के बलों को (उत्तिर) अच्छी प्रकार निवारण कर॥7॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
बुद्धिमान् मनुष्यों को ईश्वर आज्ञा देता है कि- साम, दाम, दण्ड और भेद की युक्ति से दुष्ट और शत्रु जनों की निवृत्ति करके विद्या और चक्रवर्त्ति राज्य की यथावत् उन्नति करनी चाहिये। तथा जैसे इस संसार में कपटी, छली और दुष्ट पुरुष वृद्धि को प्राप्त न हों, वैसा उपाय निरन्तर करना चाहिये॥7॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
7. इन्द्र! तुमने मायावी शुष्ण का माया-द्वारा वध किया था। तुम्हारी महिमा मेधावी लोग जानते हैं। उन्हें शक्ति प्रदान करो।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
7. The wily Susna, Indra! thou o’er-threwest with thy wondrous powers. The wise beheld this deed of thine: now go beyond their eulogies. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
The wily Susna, Indra! you over-threw with your wondrous powers. The wise beheld this deed of yours: now go beyond their eulogies. [7]

Horace Hayman Wilson (On the basis of Sayana)
7. Your slewest, Indra, by stratagems, the wily Susna the wise have known of this your (greatness); bestow upon them (abundant) food.
Susna is described as an Asura slain by Indra; but this is evidently a metaphorical murder. Susna means dryer up, exsiccator; bhutanam sos ana-hetum, the cause of the drying or withering of beings, heat or drought; which Indra, as the rain, would put an end to.1

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