ऋग्वेद 1.23.14

पूषा राजानमाघृणिरपगूळ्हं गुहा हितम्। अविन्दच्चित्रबर्हिषम्॥14॥

पदपाठ — देवनागरी
पू॒षा। राजा॑नम्। आघृ॑णिः। अप॑ऽगूळ्हम्। गुहा॑। हि॒तम्। अवि॑न्दत्। चि॒त्रऽब॑र्हिषम्॥ 1.23.14

PADAPAATH — ROMAN
pūṣā | rājānam | āghṛṇiḥ | apa-gūḷham | guhā | hitam | avindat | citra-barhiṣam

देवता —        पूषा ;       छन्द        गायत्री;      
स्वर        षड्जः;       ऋषि        मेधातिथिः काण्वः

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जिससे यह (आघृणिः) पूर्ण प्रकाश वा (पूषा) जो अपनी व्याप्ति से सब पदार्थों को पुष्ट करता है वह जगदीश्वर (गुहा) (हितम्) आकाश वा बुद्धि में यथायोग्य स्थापन किये हुए वा स्थित (चित्रबर्हिषम्) जो अनेक प्रकार के कार्य्य को करता (अपगूढ़म्) अत्यन्त गुप्त (राजानम्) प्रकाशमान प्राणवायु और जीव को (अविन्दत्) जानता है इससे वह सर्वशक्तिमान् है॥14॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जिस कारण जगत् का रचनेवाला ईश्वर सब को पुष्ट करनेहारे हृदयस्थ प्राण और जीव को जानता है इससे सबका जानने वाला है॥14॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
14. प्रकाशमान पूषा ने गुहा में अवस्थित, छिपा हुआ विचित्रकुश-सम्पन्न और दीप्तिमान् सोम पाया।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
14. Pusan the Bright has found the King, concealed and bidden in a cave, Who rests on grass of many hues.  

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Pusan the Bright has found the King, concealed and bidden in a cave, Who rests on grass of many hues. [14]

H H Wilson (On the basis of Sayana)
14. The resplendent Pusan has found the royal (Soma juice), although concealed, hidden in a secret place, strewed amongst the sacred grass. The phrase is Guha-hitam, placed in a cave, or in a place difficult of access; or according to the Scholiast, heaven- guhasadrse durgame dyuloke. Bppu

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