ऋग्वेद 1.22.10
आ ग्ना अग्न इहावसे होत्रां यविष्ठ भारतीम्। वरूत्रीं धिषणां वह॥10॥
पदपाठ — देवनागरी
आ। ग्नाः। अ॒ग्ने॒। इ॒ह। अव॑से। होत्रा॑म्। य॒वि॒ष्ठ॒। भार॑तीम्। वरू॑त्रीम्। धि॒षणा॑म्। व॒ह॒॥ 1.22.10
PADAPAATH — ROMAN
ā | gnāḥ | agne | iha | avase | hotrām | yaviṣṭha | bhāratīm | varūtrīm |
dhiṣaṇām | vaha
देवता — अग्निः ; छन्द — गायत्री;
स्वर — षड्जः; ऋषि — मेधातिथिः काण्वः
मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
हे (यविष्ठ) पदार्थों को मिलाने वा मिलनेवाले (अग्ने) क्रियाकुशल विद्वान् ! तू (इह) शिल्पकार्य्यों में (अवसे) प्रवेश करने के लिये (ग्नाः) पृथिवी आदि पदार्थ (होत्राम्) होम किये हुये पदार्थों को बढ़ाने (भारतीम्) सूर्य्य की प्रभा (वरुत्रीम्) स्वीकार करने योग्य दिन रात्रि और (धिषणाम्) जिससे पदार्थों को ग्रहण करते हैं उस वाणी को (आवह) प्राप्त हो॥10॥
भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
विद्वानों को इस संसार में मनुष्य जन्म पाकर वेद द्वारा सब विद्या प्रत्यक्ष करनी चाहिये क्योंकि कोई भी विद्या पदार्थों के गुण और स्वभाव को प्रत्यक्ष किये बिना सफल नहीं हो सकती॥10॥
रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
10. अग्नि! हमारी रक्षा के लिए देव-रमणियों को इस यज्ञ में ले आओ। युवक अग्नि! देवों को बुलानेवाली, सत्य कथनशीला और सत्यनिष्ठा सुबुद्धि को ले आओ।
Ralph Thomas Hotchkin Griffith
10. Most youthful Agni, hither bring their Spouses, Hotra, Bharati,
Varutri, Dhisana, for aid.
Translation of Griffith
Re-edited by Tormod Kinnes
Most youthful Agni, here bring their Spouses, Hotra, Bharati, Varutri,
Dhisana, for aid. [10]
H H Wilson (On the basis of Sayana)
10. Youthful Agni, bring hither for our protection the wives (of the gods), Hotra, Bharati, Varutri, and Dhisana.
Hotra is called the wife of Agni, or the personified invocation; Bharati, of Bharata one of the Adityas.1. It is rather doubtful if Varutri be a proper name or an epithet of the following; it is explained by varaniya, who is to be chosen or preferred, who is excellent. Dhisana is a synonym of Vac or Vag-devi, the goddess of speech.