ऋग्वेद 1.20.5

सं वो मदासो अग्मतेन्द्रेण च मरुत्वता। आदित्येभिश्च राजभिः॥5॥

पदपाठ — देवनागरी
सम्। वः॒। मदा॑सः। अ॒ग्म॒त॒। इन्द्रे॑ण। च॒। म॒रुत्व॑ता। आ॒दि॒त्येभिः॑। च॒। राज॑ऽभिः॥ 1.20.5

PADAPAATH — ROMAN
sam | vaḥ | madāsaḥ | agmata | indreṇa | ca | marutvatā | ādityebhiḥ | ca | rāja-bhiḥ

देवता —        ऋभवः ;       छन्द        पिपीलिकामध्यानिचृद्गायत्री;      
स्वर        षड्जः;       ऋषि        मेधातिथिः काण्वः

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
हे मेधावि विद्वानो ! तुम लोग जिन (मरुत्वता) जिसके सम्बन्धी पवन हैं, उस (इन्द्रेण) बिजुली वा (राजभिः) प्रकाशमान (आदित्येभिः) सूर्य्य की किरणों के साथ युक्त करते हों, इससे (मदासः) विद्या के आनन्द (वः) तुम लोगों को (अग्मत) प्राप्त होते हैं, इससे तुम लोग उनसे ऐश्वर्य्यवाले हूजिये॥5॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जो विद्वान् लोग जब वायु और विद्युत् का आलम्ब लेकर सूर्य्य की किरणों के समान आग्नेयादि अस्त्र, असि आदि शस्त्र और विमान आदि यानों को सिद्ध करते हैं, तब वे शत्रुओं को जीत राजा होकर सुखी होते हैं॥5॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
5. ऋभुगण! मरुद्गण से संयुक्त इन्द्र और दीप्यमान सूर्य के साथ तुम लोगों को सोमरस प्रदान किया जाता है।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
5. Together came your gladdening drops with Indra by the Maruts girt, With the Adityas, with the Kings. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Together came your gladdening drops with Indra by the Maruts girt, With the Adityas, with the Kings. [5]

H H Wilson (On the basis of Sayana)
5. Rbhus, the exhilarating juices are offered to you, along with Indra, attended by the Maruts and along with the brilliant Adityas. According to Asvalayana,2 as quoted by Sayana the libations offered at the third daily, or evening sacrifice, are presented to Indra, along with the Adityas, together with Rbhu, Vibhu and Vaja, with Brhaspati and the Visvedevas.

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