ऋग्वेद 1.19.4
य उग्रा अर्कमानृचुरनाधृष्टास ओजसा। मरुद्भिरग्न आ गहि॥4॥
पदपाठ — देवनागरी
ये। उ॒ग्राः। अ॒र्कम्। आ॒नृ॒चुः। अना॑धृष्टासः। ओज॑सा। म॒रुत्ऽभिः॑। अ॒ग्ने॒। आ। ग॒हि॒॥ 1.19.4
PADAPAATH — ROMAN
ye | ugrāḥ | arkam | ānṛcuḥ | anādhṛṣṭāsaḥ | ojasā | marut-bhiḥ | agne | ā
| gahi
देवता — अग्निर्मरुतश्च ; छन्द — गायत्री;
स्वर — षड्जः; ऋषि — मेधातिथिः काण्वः
मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
(ये) जो (उग्राः) तीव्रवेग आदि गुणवाले (अनाधृष्टासः) किसी के रोकने में न आ सकें, वे पवन (ओजसा) अपने बल आदि गुणों से संयुक्त हुए (अर्कम्) सूर्य्यादि लोकों को (आनृचुः) गुणों को प्रकाशित करते हैं, इन (मरुद्भिः) पवनों के साथ (अग्ने) यह विद्युत् और प्रसिद्ध अग्नि (आगहि) कार्य्य में सहाय करनेवाला होता है॥4॥
भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जितना बल वर्त्तमान है उतना वायु और विद्युत् के सकाश से उत्पन्न होता है, ये वायु सब लोकों के धारण करनेवाले हैं, इनके संयोग से बिजुली वा सूर्य्य आदि लोक प्रकाशित होते तथा धारण भी किये जाते हैं, इससे वायु के गुणों का जानना वा उनसे उपकार ग्रहण करने से अनेक प्रकार के कार्य्य सिद्ध होते हैं॥4॥
रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
4. जिन उग्र और अजेयबलशाली मरुतों ने जल-वृष्टि की थी; अग्निदेव, उन्हीं के साथ पधारो।
Ralph Thomas Hotchkin Griffith
4. The terrible, who sing their song, not to be overcome by might: O Agni,
with those Maruts come.
Translation of Griffith Re-edited by Tormod Kinnes
The terrible, who sing their song, not to be overcome by might: Agni, with those Maruts come. [4]
Horace Hayman Wilson (On the basis of Sayana)
4. Who are fierce, and send down rain, and are unsurpassed in strength: come, Agni with the Maruts.
Here the word is Arka, as according to the Vajasaneyis, Apo va arkah3; the term is derived from are, to worship, and is explained in two other texts. So arcannacarat tasyarcata apo ajayanta4- He (Hiranyagarbha) proceeded, worshipping, (after creating the solid earth), and from him worshipping the waters were produced. And again, Arcato vai me kam abhut. From me worshipping, water was. Hence the name Arka was given to water or rain.