ऋग्वेदः 1.6.4

आदह स्वधामनु पुनर्गर्भत्वमेरिरे।
दधाना नाम यज्ञियम्॥4॥

पदपाठ — देवनागरी
आत्। अह॑। स्व॒धाम्। अनु॑। पुनः॑। ग॒र्भ॒ऽत्वम्। आ॒ऽई॒रि॒रे। दधा॑नाः। नाम॑। य॒ज्ञिय॑म्॥ 1.6.4

PADAPAATH — ROMAN
āt | aha | svadhām | anu | punaḥ | garbha-tvam āīrire | dadhānāḥ | nāma | yajñiyam

देवता        मरूतः;       छन्द        निचृद्गायत्री ;       स्वर        षड्जः;      
ऋषि         मधुच्छन्दाः वैश्वामित्रः  

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जैसे (मरुतः) वायु (नाम) जल और (यज्ञियम्) यज्ञ के योग्य देश को (दधानाः) सब पदार्थों को धारण किये हुये (पुनः) फिर-2 (स्वधामनु) जलों में (गर्भत्वम्) उनके समूह रूपी गर्भ को (एरिरे) सब प्रकार से प्राप्त होते कंपाते वैसे (आत्) उसके उपरान्त वर्षा करते हैं। ऐसे ही बार 2 जलों को चढ़ाते वर्षाते हैं॥4॥

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
जो जल सूर्य्य वा अग्नि के संयोग से छोटा-2 हो जाता है, उसको धारण कर और मेघ के आकार बना के वायु ही उसे फिर-2 वर्षाता है उसीसे सबका पालन और सबको सुख होता है॥4॥                 इसके पीछे वायु अपने स्वभाव के अनुकूल बालक के स्वरूप में बन गये और अपना नाम पवित्र रख लिया। देखिये मोक्षमूलर साहब का किया अर्थ मन्त्रार्थ से विरुद्ध है, क्योंकि इस मन्त्र में बालक बनना और अपना पवन नाम रखना, यह बात ही नहीं है। यहां तो इन्द्रनाम वाले वायु का ही ग्रहण है, अन्य किसी का नहीं॥4॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
4. इसके अनन्तर मरुद्गण ने यज्ञोपयोगी नाम धारण करके अपने स्वभाव के अनुकूल, बादल के मध्य जल की गर्भाकार रचना की।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
4. Thereafter they, as is their wont, threw off the state of’ babes unborn, Assuming sacrificial names. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Thereafter they, as is their wont, threw off the state of’ babes unborn, Assuming sacrificial names. [4]

Horace Hayman Wilson (On the basis of Sayana)
4. Thereafter verily those who bear names invoked in holy rites (the Maruts) having seen the rain (about to be engendered), instigated him to resume his embryo condition (in the clouds).
The Maruts are not named in the text, but the allusions justify the commentator’s specification: the winds drive Indra, or the firmament, into an aggregation of clouds, in which the rain again collects, as in their womb.

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