ऋग्वेदः 1.2.3

वायो तव प्रपृञ्चती धेना जिगाति दाशुषे । उरूची सोमपीतये ॥3॥

पदपाठ — देवनागरी
वायो॒ इति॑ । तव॑ । प्र॒ऽपृ॒ञ्च॒ती । धेना॑ । जि॒गा॒ति॒ । दा॒शुषे॑ । उ॒रू॒ची । सोम॑ऽपीतये ॥ 1.2.3

PADAPAATH — ROMAN
vāyo iti | tava | pra-pṛñcatī | dhenā | jigāti | dāśuṣe | urūcī | soma-pītaye

देवता        वायु:;       छन्द        गायत्री;       स्वर        षड्जः;      
ऋषि         मधुच्छन्दाः वैश्वामित्रः  

मन्त्रार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
(वायो) हे वेदविद्या के प्रकाश करनेवाले परमेश्वर ! (तव) आपकी (प्रपृंचती) सब विद्याओं के सम्बन्ध से विज्ञान का प्रकाश कराने और (उरूची) अनेक विद्याओं के प्रयोजन को प्राप्त करानेहारी (धेना) चार वेदों की वाणी है सो (सोमपीतये) जानने योग्य संसारी पदार्थों के निरन्तर विचार करने तथा (दाशुषे) निष्कपट से प्रीति के साथ विद्या देनेवाले पुरुषार्थी विद्वान् को (जिगाति) प्राप्त होती है॥दूसरा अर्थ- (वायो तव) इस भौतिक वायु के योग से जो (प्रपृंचती) शब्दोच्चारण श्रवण कराने और(उरूची) अनेक पदार्थों की जाननेवाली (धेना) वाणी है सो (सोमपीतये) संसारी पदार्थों के पान करने योग्य रस को पीने वा (दाशुषे) शब्दोच्चारण श्रवण करनेवाले पुरुषार्थी विद्वान् को (जिगाति) प्राप्त होती है ॥3॥ 

भावार्थ — महर्षि दयानन्द सरस्वती
यहाँ भी श्लेषालंकार है। दूसरे मन्त्र में जिस वेदवाणी से परमेश्वर और भौतिक वायु के गुण प्रकाश किये हैं, उसका फल और प्राप्ति इस मन्त्र में प्रकाशित की है। अर्थात् प्रथम अर्थ से वेदविद्या और दूसरे से जीवों की वाणी का फल और उसकी प्राप्ति का निमित्त प्रकाश किया है ॥3॥

रामगोविन्द त्रिवेदी (सायण भाष्य के आधार पर)
3. हे वायु! तुम्हारा सोमगुण-प्रकाशक वाक्य सोमरस पीने के लिए हव्यदाता यजमान और अनेक लोगों के निकट जाता है।

Ralph Thomas Hotchkin Griffith
3. Vayu, thy penetrating stream goes forth unto the worshipper, Far-spreading for the Soma draught. 

Translation of Griffith Re-edited  by Tormod Kinnes
Vayu, your penetrating stream goes forth to the worshipper, Far-spreading for the soma draught. [3]

Horace Hayman Wilson (On the basis of Sayana)
3. Vayu, your approving speech comes to the giver (of the liba­tion), and to many (others who invite you) to drink of the Soma juice.
Your Approving Speech- Vayu is supposed to say, I will drink the libation.”

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